Friday 25 March 2016

यादों की पोटली से कुछ कहानिया

JK 20 P 420 , रियासी to कटरा to जम्मू भाग - 1




'भैया थोडा साइड होना'
आखिरी सीट पे बैठे हुए तीन दोस्तों में से एक से मैंने कहा
इतना कहते ही उसने  मेरी तरफ, इस तरह देखा
जैसे मानो ,मैंने उससे उसकी सीट नहीं बल्कि किडनी मांग ली हो
खैर, ये रिएक्शन देखने की,अब तो आदत सी हो गयी है
क्या करूँ मुसाफिर जो हूँ
हज़ारो किलोमीटर की यात्रा में,
सौइयो तरह के लोग मिलते हैं,
पचसियो से बात होती है,
20 अच्छी , 20 बुरी
10 ऐसी भी होती है जिनका कोई सर पैर नहीं होता पर होती जरूर है ।
क्योंकि इसका नाम सफ़र है ,
और सफ़र में suffer भी करना ही पडता है
कोई  ऐसे भी लोग मिलते है ,जो मिलते ही एक सवालो का बैग खोल देते है।
कहाँ से आ रहे हो?
कहाँ रहते हो क्यों रहते हो ???
क्या करते हो ??
ये क्यों नहीं करते ??
हजारो सवाल,
कभी कभी तो इतना पूछ लेते है की
अगर इतना कभी पढाई के लिए याद कीया होता तो शायद आई.ए.एस बन गए होते आज ।
और ये केवल बस  की बात नहीं है ,
आप ट्रेन में जाओ या मेट्रो ट्रेन  में ,
हर जगह हर समय ऐसा ही सब कुछ होता है ,
क्योंकि ये भारत है मेरे दोस्त,
और अब इन सब चीज़ों की इतनी आदत सी हो गयी है कि इनके बिना सफ़र असफल सा लगता है ।
खैर मैं भी भटका हुआ राही हूँ


शुरू हुआ था JK 20 P 0420 की बात से और पहुँच गया पूरे भारत की बात पर ।
तो कुछ यूँ हुआ
के जैसे ही मैंने अपनी तशरीफ़ बस की आखिरी सीट पे टिकाई,
बचपन के दिन याद आ गए ,
जब हम  पजल वाले गेम के टुकड़ो को जबरदस्ती जोड़ने की कोशिश करते थे और मैं वो ही पजल का टुकड़ा बन बैठा , जिसको जोड़ने की कोशिश बस कंडक्टर कर रहा था ।
बस में जैसे जैसे भीड़ बढ़ती रही, ऑक्सीजन की मात्रा घटती रही।
फिर कुछ देर में आगे वाली सीट पे बैठे एक अंकल ने एक तीख़ी सी आवाज़ निकाली ,
पर अफ़सोस की  वो आवाज़ उनके मुह से नहीं निकली थी ।
और चंद ही मिनटो में ज़ेहर पूरी बस में फैलता इतने में बस चल पढ़ी।
बस चली और हवा का आवागमन होने लगा
शाम का समय था और रास्ता पहाड़ी था,
एक पहाड़ से दुसरे पहाड़ , कभी पहाड़ बायीं तो कभी दायीं ओर,
पूरे रस्ते यही चलता रहा ,ठण्ड काफी थी ।


बस में हो रही चहल पहल से परे,आसमान में कोसो दूर जो नजारा था, वो मेरे बोझल मन को हल्का कर रहा था ।
एक तरफ तो विशालकाय सूरज पहाड़ो के पीछे धीरे धीरे आँखों से ओझल हो रहा था
और वही दूसरी ओर 'चाँद' सैकड़ो तारो के साथ उसके ओझल होने की घात लगाए बैठ था |
वो चाँद जो तारो से जगमगाते आस्मां में खूबसूरती से  पैठ कर रहा था
उसको देखते देखते मैं ना जाने किस  ख्वाब में खो गया और ख्वाब टूटा एक झटके के साथ।
सीट आखिरी थी पर झटके आखिरी नही
ना जाने इस पहाड़ी रस्ते में कितने झटके और बाकी थे ??
बस ड्राईवर ने जोर से ब्रेक मारी और आधी सवारियां अपनी सीट से थोडा इधर उधर हो गयी
तभी एक दुसरे चाँद की झलक दिखाई दी
ये चाँद मुझसे कोसो नहीं बल्कि कदमो दूर था
बस रुकी और एक पहाड़ी लड़की ने बस में प्रवेश किआ
उसकी सुंदरता को देख सबकी आँखों के तारे टिमटिमाने लगे ।
उसके चेहरे पे मदहोश कर देने वाली एक अद्भुत चमक थी ।
जैसे पौं फटने के समय आस्मां में होती है।
ऐसी अनोखी सुंदरता जिसको बयान करने में अच्छे अच्छे लेखक भी निशब्द हो जाए,
और उस चेहरे की झलक से ही सफर का suffer होना खत्म हो गया |
बस में बहुत भीड़ थी और उस भीड़ में भी कुछ आशिक़ मिजाज़ लोगो ने उस लड़की को अपनी  सीट देने की मंशा जताई ।
पर उसे भी सीट पे बैठना गवारा ना हुआ और अशिक़ो की कोशिश नाकाम रही ।
वो कुछ देर तक खड़ी रही और मैं भी टुकटुकि लगाये उसे चुपके से निहारता रहा
बस में अँधेरा था , पर फिर मेरी आँखें उसके हुस्न के दीदार में जुटी हुई थी ।
फिर बस कुछ दूर चल के रुकी , एक बसस्टॉप आया था ।
आधी बस खाली हो गयी और वो लड़की एक खिड़की वाली सीट पे जाके बैठ गयी ।
मैं भी उस निरंतर झटके देने वाली आखिरी सीट से उठा और उसके साथ  जाकर बैठ गया ।
इरादा नेक था और मन में भी ख्याल एक था
के काश इस लडकी से रूबरू होने का मौका मिल सके इस पहाड़ी सफ़र में
मैंने उसे मन ही मन, मानो उसे अपनी किस्मत में लिखा जीवन भर तक साथ देने वाला एक लेख मान लिया हो
वही लेख जो हर किसी की किस्मत में लिखा होता है।
उस से बात करने की मन को बहुत लालसा थी ,
तभी मैंने धीमी सी आवाज़ में उससे कहा....


कहानी में आगे क्या हुआ , जानने के लिए यहाँ दबाए

18 comments:

  1. Interesting one. Nice collection of words.... Hamara naya neelesh mishra.... Bhai story to complete kr :)

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    1. thank you ..Nahi neelesh mishra to nahi ban paaungaa ... shubham hi theek hun .... Story ka agla part aayega . tab tak wait karo ...:)

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    2. Neelesh Mishra nahiiiiiiiii...... Nilesh MiSra. Gaur farmayein.

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    3. kya farak padhta hai , likhta bahut acha hai , gata bhi hai , sunata to gajab hai aur wahi Guru hai 2010 se jab se yaad sheher shuru hua hai...:)

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  2. BAHUT BADHIYA . JAMINI VASTAVIK BAATEN SARAL SHABDO MEI

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  3. a very good effort keep it up :)

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  4. Good going Shubham. Keep it up. Aage sunao....

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    1. aage bhi sunaaenge . thoda sabar kariye....:)

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  5. Kiya baat hai shanu upcoming chetan bhagat...story to puri Ker bhai

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  6. naa naa bhai , shubham hi theek hun ;) Agla part ka wait karo ....:)

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  7. apritam , sundar bhai bht sundar ..eagerly
    waiting for your next part :)

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  8. Kya baat h Gautam ji ��....

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  9. Ooohhhh. Great. Writing skills. Gautam. Jii.....

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  10. Kya baat hai !!! Badaa ho gaya mera bhai

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    1. nahi
      aapke liye to chota hi rahungaa hamesha...:)

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  11. wah, kya post hai...
    bhai aapki writing skills to superb hai yr

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  12. Kya baat... Very nice ...take ur writing talent seriously... way to go

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