Sunday 8 January 2017

राजघाट (बबराला)


जी चाहता है, मैं भी एक दिन, 
उड़ जाऊं इस नील गगन में।।


आज बहुत समय बाद पैतृक घर वाले 
गंगाघाट में स्नान करने का अवसर प्राप्त हुआ ।।

जहां एक पेड़ पर पंछी बाहें पसारे
धूप का आनंद ले रहे थे ।।


कुछ नील गगन में ऊँची उड़ान भरकर 
दाना पानी खोज रहे थे,अपने लिए 
और उन नवजात पंछिओं के लिए 
जिन्होंने अभी तक कोई उड़ान नहीं भरी ।।

कल का दिन कड़ाके की ठण्ड में बीता,
आज खूब ऊर्जा देते सूर्यदेव बुला लाये,
सभी को माँ गंगा के घाट पर ।।
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रविवार का दिन है,
गर्मियों में तो खूब भीड़ होती है,
आज तो एकादशी भी है,
लोग अपनी मनोतियों को 
पूर्ण करने के लिए यहाँ 
दिन प्रतिदिन स्नान करने आते है ।।



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लेकिन आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है 
क्योंकि मैं माँ गंगा के बारे में 
कुछ लिख पा रहा हूँ और 
आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ ।।

**यहाँ घाट पर कुछ विचित्र अनुभव होते है **

*ऊपर उड़ते पंछियों को तो आप देख ही चुके है। 

* घाट पर जो कोई प्रसाद चढ़ाता है , 
 उस प्रसाद को  यहाँ के बन्दर खा जाते है, खूब उधमी है ये।
ये बच्चे यहाँ सिक्के बटोरने आते है 

*और अगर फिर भी कुछ बच तो कुत्ते, बिल्ली भी है यहाँ।
*एक अम्मा आयी प्रसाद चढाने तो बाकी सब आ गए। 


*एक बन्दर ने दूर से किसी को प्रशाद डालते हुए देखा तो उछल के लपक लाया,
आटे की थाली थी, पूरा मुह गंदा कर लिया।
*घाट पर कुछ लोग सफाई करने भी आये थे, 
पूछने पर पता लगा हमारे कसबे के ही थे, 
हर रविवार आते है ।

*घाट पर मौजूद कुछ मंदिरों में वर्षभर साधू महात्माओं का वास रहता है,
जो केवल तीर्थ के समय, यहाँ से देवस्थानों की ओर पलायन करते है ।

*कुछ स्थानीय चाँट-पकोड़ी के विक्रेताओं का समूह, 
सुबह से शाम तक घाट पर रोटी कपडे के जुगाड़ में 
अपना जीवन व्यतीत करता  है।

*हमारे कसबे(बबराला) की आबादी 30 से 35 हज़ार है,
तो चौराहे से आज भी लोग बैलगाड़ी,जुगाड़,बसों और गाड़ियों 
के माध्यम से गंगास्नान के लिए जाते है ।

* गंगा जी पर महीने में 3 बार मेला लगता है -पूर्णिमा,अमावस्या और एकादशी।
*जीभ के चटकारे लेने वालो के लिए भी यह एक अद्भुत घाट है, 
   गंगा जी में जब जल का प्रवाह कम होता है 
तब जाल के बीच में कुछ भूमि का टुकड़ा निकल आता है 
गर्मियों में इस भूमि पर खूब खीरे, ककड़ी,खरबूजे और तरबूज की बेल उग  जाती है 

कभी समय मिले तो दर्शन करिये गंगा मैया के
 यहाँ से या फिर उत्तर प्रदेश के किसी भी घाट के । 
एक जैसा ही अनुभव मिलेगा पश्चिमी उत्तर  प्रदेश के किसी के अधिकतम घाट पर। 


नोट : गंगास्नान करते समय सोचा नहीं था के इसके बारे में लिखूंगा इसलिए चित्रों के अभाव ये ब्लॉग लिखा,आपके सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी। 

 *जय गंगा मैया*


5 comments:

  1. Nice blog bhai.. Keep writing... N posting... 😊

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  2. Good one...blog se meri bhi yatra ho gayi

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  3. tum din din aur achcha kalakar bante ha rahe ho vai..keep it up

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