Monday, 11 April 2016

कैसे शुरू हुआ साइकिल का सफ़र


अब कुछ काल्पनिक और वास्तविक बातों से परे साइकिल का सफरनामा लाया हूँ ।
इस सफरनामे में कुछ यात्राएँ मेरे और तरुण भाई के द्वारा की गयी , तो कुछ यात्राओ में सौरव जी का भी साथ  मिला ।
अभी पिछले 3 महीने में साइकिल पर कुछ 5-6 जगह घुमा जा सका ।

वैसे तो साइकिल चलाना पिछले 15 साल से ही प्रिय है ,
आज भी याद है जब मैं तीसरी कक्षा में था और पिताजी ने इसी शर्त पर साइकिल दिलायि थी की चौथी में 90 प्रतिशत से अधिक अंक लाने होंगे ।
मन तो बचपन से ही चंचल था ,ये समझ लिजिए की अभी यहाँ और अगले ही पल जाने कहाँ ?
90 प्रतिशत की दौड़ में भगाने के लिए पिताजी ने साइकिल दिलाना मुनासिब समझा ।
अंक आये भी क्योंकि बचपन बहुत सरल होता है 
लेकिन धीरे धीरे क्लास में नंबर घटते रहे और रैंक बढ़ती रही पर साइकिल का साथ कभी ना छूटा ।

अब  पिछले ही वर्ष जुलाई में मास्टर्स की पढाई में एडमिशन लिया ।
4 वर्ष की अभियांत्रिकी की पढाई के दौरान बहुत से साथी बने, उन्ही में से एक थे - सौरभ जी ।
सौरभ जी वही व्यक्ति है जो चण्डीगढ़ से अपने घर जिला काँगड़ा तक साइकिल से 253 किलोमीटर यात्रा करके एक ही दिन में इतिहास के कोरे पन्नों पर अपनी साइकिल गाथा को लिख चुके है ।

बी.टेक  के समय से ही उनसे घनिष्ट मित्रता हो गयी थी, उस समय मैं और सौरभ कुछ अन्य साथियो के साथ हिमाचल के कुछ क्षेत्रो में वैन विहार के कार्यक्रम के लिए गए थे - दगशायी , चायल 
आदि स्थानों पर घूमना हुआ था ।



डगशाई का स्कूल 
सौरभ जी 


















सौरभ जी एक एथलीट व्यक्ति है , समाचार मिला के सौरभ जी अपने घर साइकिल पर ही चले गए , तो खुद से एक सवाल किया के क्यों ना एक साइकिल खरीद ली जाए और उससे घूमा जाए 







ग्रेजुएशन कॉलेज पंजाब के मोहाली जिले में था परंतु
मोहाली के अतिरिक्त , पंजाब के किसी अन्य स्थान पर घूमने का सौभाग्य प्राप्त ना हो पाया ।
एक बार कॉलेज की तरफ से भाकरा नंगल डैम गये थे तो आनंदपुर साहिब गुरिद्वारा में प्रशाद ग्रहण किया था ।

जुलाई 2015 में फिर से चंडीगढ़ में एडमिशन लिया।
26 बच्चों की क्लास में एक व्यक्ति ऐसा मिला जो भारत दर्शन का अटूट प्रेमी था ।
घूमने फिरने का ऐसा शौंक कभी किसी में नहीं देखा। मतलब एक पर्यटनप्रेमियो की सूची बनाओ तो जनाब टॉप मार देंगे।
जनाब की 30 साल की उम्र में कम से कम से 300 से अधिक अलग अलग जगह घूमने के किस्से है जो एक वेबसाइट पर भाई साब ने डाले  है , वेबसाइट का नाम है www.tarungoel.in
ये कश्मीर से कन्याकुमारी तक पर्यटन करके अनेक स्थानों के अनुभवो को , छोटी बड़ी बातों को साँझा कर चुके है पर इनके और बाकी सभी पर्यटनप्रेमिओ के मन की तृष्णा कभी समाप्त नहीं हो सकती क्योंकि ये हमारी भारतभू ,एक ऐसा स्थान है जिसे ठीक तरह से देखने के लिए कुछ साल और उम्र तो क्या ना जाने कितने जनम भी कम पढ़ जाए।


इतने सारे प्रान्त, भाषाए , बोलिया , सभ्यताएं, अनन्य संस्कृतिया, ऋतुएँ , पर्वत श्रृंखलाएँ , नदिया ।
इतना कुछ है की जिसका वर्णन करना भी असंभव ही समझो, कहीं ऊँचे ऊँचे बर्फ से ढके पहाड़ तो कहीं धूप  से तप्ते रेगिस्तान, कहीं विश्व में सरवाधिक वर्षा होने वाला चेरा पूँजी जैसा स्थान ,तो चारो ओर समुद्र से घिरा अंडमान निकोबार द्वीप और सर पर विशाल आसमान ।

खैर  ,बात चली थी साइकिल पर और फिर ना जाने कहा पहुँच गयी ।
तो तरुण जी के साथ हिमाचल के चूड़धार और पोंटा साहिब जैसे स्थानों पर घुमने का मौका मिला ।
जिनके अनुभवो को कभी और आपके समक्ष प्रस्तुत करूँगा ।
फिर सर्दिया आ गयी और स्वास्थ को दुरुस्त रखने के लिए तरुण जी ने साइकिल खरीदने के रट लगा ली।
बहुत विचारविमर्श के बाद फ़ायरफ़ॉक्स की एक साइकिल रूम पर आ गयी ।
जिसे हम दोनों अलग अलग समय पर चलाया करते थे ।
पर ये किसी को नहीं नहीं पता था की हमारी राहों की हमसफर ये साइकिल ही एक दिन कहानियो और चर्चा का विषय बन जायेगी ।
साइकिल महंगी थी लेकिन सपनो की कोई कीमत नहीं होती।
सर्दियो की छुटियों में तरुण जी अपनी फ़ायरफ़ॉक्स की अमानत मुझे सौंप गए।
खूब चलायी खूब दौड़ाई 
इसी बीच सौरभ जी ने भी साइकिल ले ली थी , फिर कभी मैं सौरभ जी के कॉलेज तो सौरभ जी कभी मेरे कॉलज
कुछ दिन बाद जब कॉलेज खुलने वाले थे तो तरुण जी को भी सौरभ जी के साइकिल पर घर जाने का समाचार  मिला ।
तरुण भाई की मुलाकात सौरभ जी से मेरे द्वारा हुई थी और हम साथ ही चूड़धार गए थे ।

चूडधार का एक अदभुत नजारा 

तरुण भाई के घर से वापस आने से 2 दिन पहले मैं अपनी पहली स्कॉलरशिप से एक हरक्यूलिस की साइकिल ले आया और तैयार हो गया आस पास के क्षेत्रों की दूरिओ को कम करने के लिए और फिर सफरनामा कुछ इस बरकरार 
1. पहली साइकिल यात्रा - श्री आनंदपुर साहिब
2. मोरनी की अधूरी यात्रा
3. छप्पर चिड़ी - सिख साम्राज्य का अहम पृष्ठ
4. सिसवाँ  डैम और शीश महल गुरुद्वारा
5. फतेहगढ़ साहिब और ऊँचा पिंड संघोल
6. धर्मक्षेत्र - कुरुक्षेत्र की शतक  वाली यात्रा

जल्द ही सुनियेगा आनंदपुर साहिब की साइकिल यात्रा।।

तरुण जी 



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