आखिर क्या चाहता है ये मन ???
के उन मायूस चेहरो पे मुस्कान के दो फूल खिल सके
जो वंचित थे ज्ञान और अज्ञान के बीच अंतर से ।
आखिर उनके कोमल हाथो में , कलम की जगह मेहेज 10 रुपए में बिकने वाला कमल क्यों है ???
कोई अपने हाथ में कपडा लेके गन्दी गाडियो के शीशे साफ़ कर रहा है,
कोई हाथ में भारत का झंडा , कोई सफ़ेद फूलों से निर्मित सुंगधित गजरे ,
तो कोई कागज़ के टीसु पेपर बेच रहा है ,
क्या इस टिशू वाले कागज़ की बजाए वो कोपि किताब वाले कागज़ों से रूबरू होने का हक़ नहीं इन नन्हे बचपन के व्यापारियो को ??
के उन मायूस चेहरो पे मुस्कान के दो फूल खिल सके
जो वंचित थे ज्ञान और अज्ञान के बीच अंतर से ।
आखिर उनके कोमल हाथो में , कलम की जगह मेहेज 10 रुपए में बिकने वाला कमल क्यों है ???
कोई अपने हाथ में कपडा लेके गन्दी गाडियो के शीशे साफ़ कर रहा है,
कोई हाथ में भारत का झंडा , कोई सफ़ेद फूलों से निर्मित सुंगधित गजरे ,
तो कोई कागज़ के टीसु पेपर बेच रहा है ,
क्या इस टिशू वाले कागज़ की बजाए वो कोपि किताब वाले कागज़ों से रूबरू होने का हक़ नहीं इन नन्हे बचपन के व्यापारियो को ??
ये व्यापार नहीं करते, ये तो जीवन व्यापन के लिए इधर से उधर अपने बचपन को कोड़ियो के भाव बेच रहे है
इनके साहस और निश्चय का कोई माप नहीं है
मैनेजमेंट के विद्यार्थी भी इतनी अच्छी मार्केटिंग नहीं कर सकते क्योंकि वो इतने सक्षम नहीं होते जो रोज रोज की नामंजूरी के बाद समाज में अपना कदम रख पाए ।
धैर्य चाहिए होता है , हज़ारो लोगो के सामने रोज अपने सामान को बेचने में
वो भी तब , जब हज़ारो में से कुछ चंद ही इनका सामान खरीद के वो अतुलनीय मुस्कान की झलक पाते है
बारिश हो , कड़ी धूप या कड़ाके की ठण्ड कोई भी ऐसी चीज़ नही जो इनके हौसले को कुछ षण के लिए भी पस्त कर दे
पर सवाल ये है की क्या इनका ये नन्हा बचपन इसी जद्दोजेहद में बीत जाएगा ???
आखिर क्या चाहता है ये मन
क्या कुछ हो सकता है ?
क्या कुछ किया जा सकता है ?
एक सवाल अपने मन से
आखिर क्या चाहता है ये मन???
Good work. Keep it up. Innocent observations kabeele tareef hai..... And pictures ka selection bhi. May God bless you!
ReplyDeleteThank you very much for reading that. I think i made some point in that. Pictures are stolen from google images , rest is all , what is in my heart.
DeleteNice effort!!! :)
ReplyDeleteOnly those people make a difference who believe they can!!!
ReplyDeleteSure Sir
Deletegreat job shubham !! keep updating
ReplyDeleteमार्मिक प्रस्तुति।
ReplyDeleteपढ़ने के लिए आपका बहुत आभार , आशा करता हूँ आपको और भी अच्छी अच्छी कहानिया और लेख प्रस्तुत कर पाऊ
DeleteGreat work bhai, keep it up
ReplyDeleteGood job bhai.. keep it up. ..:-)
ReplyDeleteGreat job bro...
ReplyDeleteU make room 44 to be proud
Bravo boy ! keep up good wwriting:)
ReplyDeleteThese are 'your' emotions. Nice. One should have. But coin has other side too. I saw many of them, who doesn't want to do anything other than that. Straight away they will ask you for particular amount for doing headstand only or wiping your car's glass once. That make me think twice. Whether all what is happening is true or false.
ReplyDeleteYeah , i am agreed with you upto some extent but they are there on the red lights due to there financial conditions & parents . We are fortunate enough for the parents n family we got. i too never offered them money because according to me, the money would increase there no. But we can atleast offer them eatables. That is also not ample but a drop in an ocean. N we are mature enough to find out a way to help them. Thanking you for reading my article.
ReplyDeleteBhai kya baat kahi hai..... !!! I m really proud of u
DeleteHeart touching lines... keep it up...
ReplyDeleteNic one bro . .ultimate . .kuch kre inke liye . .par. .yeh chate huye bhi kuch ni kar paya hai maan . .quki aaj smaye ki is bhaag daud mein yeh bhul gye ki aakhir insaan hai hum. .
ReplyDeletewaah . janab bahut khoob . bahut umda likhna ka prayas kiya ..... likho likho aur padhwaao ....(Y)
Deleteबिल्कुल सही कहा एक दिशा की जरुरत है इसकी शुरुआत हमे खुद से करनी चाहिए कम से कम काम एक ऐसे बच्चे का सारा खर्च हम करंगे। तभी यह सफल हो पाएंगे तभी यह मन भी नयी ऊंचाइयों को छू पायेगा।
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